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Women’s Day Special: घरेलू हिंसा होने पर महिलाओं को नहीं बैठना चाहिए चुप, जानें इससे निपटने के लिए कौन सा कानून बनाया गया है?

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महिला दिवस 2025

हर साल 8 मार्च महिलाओं के सम्मान में महिला दिवस मनाया जाता है। लेकिन आज भी हमारे देश में महिलाएं घरेलू हिंसा का शिकार हो रही हैं। अपने घर में ही महिलाएं सुरक्षित नहीं हैं। महिलाओं की घरेलू हिंसा से होने वाले मौत के आँकड़े अब भी चौंकाते हैं। क्या आपने कभी सोचा है कि घरेलू हिंसा की शिकार अक्सर महिलाएं ही क्यों होती हैं? क्यों ज्यादातर केस में महिलाओं पर ही अत्याचार की खबरे सामने आती हैं। क्योंकि आज भी महिलाएं अपने हक और अधिकार के बारे में नहीं जानती हैं। आज चलिए हम आपको बताते हैं कि घरेलू हिंसा अधिनियम के तहत महिलाओं के पास कौन से अधिकार हैं?

क्या है घरेलू हिंसा अधिनियम, 2005

घरेलू हिंसा से महिलाओं की सुरक्षा अधिनियम 2005 26।10।2006 से लागू हुआ है। इस अधिनियम का उद्देश्य पति या पुरुष लिव-इन पार्टनर या उसके रिश्तेदारों के हाथों होने वाली हिंसा से पत्नी या महिला लिव-इन पार्टनर को सुरक्षा प्रदान करना है। यह कानून उन महिलाओं को भी सुरक्षा प्रदान करता है जो बहनें हैं, जिनमें दत्तक बहनें और माताएँ शामिल हैं।

घरेलू हिंसा अधिनियम के अंतर्गत क्या आता है? 

घरेलू हिंसा से महिलाओं की सुरक्षा अधिनियम, 2005 में घरेलू हिंसा में कई प्रकार के अपमानजनक व्यवहार शामिल हैं जो महिलाओं की सुरक्षा और भलाई को नुकसान पहुंचाते हैं या खतरे में डालते हैं। इस अधिनियम के तहत घरेलू हिंसा में दुर्व्यवहार या दुर्व्यवहार की धमकी शामिल है, चाहे वह शारीरिक, यौन, मौखिक, भावनात्मक या आर्थिक हो। पीड़ित महिला या उसके रिश्तेदारों को अवैध दहेज की मांग के माध्यम से परेशान करना भी घरेलू हिंसा की परिभाषा के अंतर्गत आएगा। 

 स्पष्टीकरण

  • शारीरिक दुर्व्यवहार: शारीरिक दुर्व्यवहार में शारीरिक दर्द, हानि, या जीवन, अंग या स्वास्थ्य को खतरा पैदा करता है, जैसे हमला, आपराधिक धमकी, या बल का उपयोग। 

  • यौन दुर्व्यवहार: यौन प्रकृति का कोई भी आचरण जो महिला के साथ दुर्व्यवहार, अपमान, अपमान या उसकी गरिमा का उल्लंघन करता है। 

  • मौखिक और भावनात्मक दुर्व्यवहार: इसमें अपमान, उपहास और तिरस्कार शामिल है, जिसमें बच्चा न होने या लड़का न होने के ताने, साथ ही किसी ऐसे व्यक्ति को शारीरिक पीड़ा पहुंचाने की धमकी भी शामिल है जिसकी महिला परवाह करती है।

  • आर्थिक दुर्व्यवहार: इसमें पीड़ित व्यक्ति को उन आर्थिक या वित्तीय संसाधनों से वंचित करना शामिल है जिनकी वह कानून के तहत हकदार है, जैसे घरेलू जरूरतों के लिए धन रोकना, संपत्ति तक पहुंच से इनकार करना, या वित्त को नियंत्रित करना। 

 

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